'वैदिककालीन' भोजन संबंधी कुछ नियमों को जानते हैं:
- पांच अंग ( दो हाथ , २ पैर एवं मुँह) को अच्छी तरह से धो कर ही भोजन करना चाहिए.
- गीले पैर भोजन करने से आयु में वृद्धि होती है.
- प्रातः और सायंकाल' दिन में सिर्फ दो बार ही भोजन का विधान है .
- पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुँह करके ही भोजन करना चाहिए.
- दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके किया हुआ भोजन प्रेतों को प्राप्त होता है.
- पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन करने से रोग की वृद्धि होती है.
- शैय्या पर बैठकर, हाथ पर रख कर तथा टूटे-फूटे बर्तनों में भोजन नहीं करना चाहिए.
- मल मूत्र का वेग होने पर, कलह के माहौल में, अधिक शोरगुल में, पीपल एवं वट-वृक्ष के नीचे भोजन नहीं करना चाहिए.
- परोसे हुए भोजन की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए.
- खाने से पूर्व अन्न देवता , अन्नपूर्णा माता की स्तुति करके उनका धन्यवाद देते हुए तथा सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो ईश्वर से ऐसी प्रार्थना करके भोजन करना चाहिए.
- भोजन बनाने वाले व्यक्ति को स्नान करके ही शुद्ध मन से, मन्त्रों का जाप करते हुए ही रसोई में भोजन बनाना चाहिए.
- सबसे पहले गाय, कुत्ता, और कौवे हेतु ३ रोटियाँ अलग निकालने के बाद अग्नि देव का भोग लगा कर ही घर वालों को खिलाएँ.
- ईर्ष्या, भय, क्रोध, लोभ, रोग, दीन भाव एवं द्वेष भाव के साथ किया हुआ भोजन कभी पचता नहीं है.
- आधा खाया हुआ फल अथवा मिठाईयाँ आदि पुनः नहीं
खानी चाहिए.
खाना छोड़ कर उठ जाने पर दोबारा भोजन नहीं करना चाहिए. - भोजन के समय मौन रहना चाहिए.
- भोजन को बहुत चबा-चबा कर ही ग्रहण करना चाहिए.
- रात्री में भरपेट भोजन नहीं करना चाहिए.
- गृहस्थ को ३२ ग्रास से ज्यादा भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए.
- सबसे पहले मीठा, फिर नमकीन व अंत में कडुवा भोजन करना चाहिए.
- सबसे पहले रस दार, बीच में गरिष्ठ तथा अंत में रसीला भोजन ग्रहण करना चाहिए.
- थोडा खाने वाले को आरोग्य, आयु,
बल,
सुख,
सुन्दर
संतान, और सौंदर्य प्राप्त होता .
- ढिंढोरा पीट कर खाना खिलाने वालों के यहाँ कभी कुछ ग्रहण नहीं करना चाहिए.
- कुत्ते का छुआ हुआ, रजस्वला स्त्री का परोसा हुआ, श्राध का निकाला हुआ, बासी, मुँह से फूंक कर ठंडा किया हुआ, बाल गिरा हुआ, बासा तथा अनादर युक्त एवं अवहेलना पूर्ण परोसा गया भोजन कभी ग्रहण नहीं करना चाहिए.
- कंजूस के यहाँ का, राजा के यहाँ का, वेश्या के हाथ का बना अथवा परोसा हुआ तथा शराब बेंचने वाले के यहाँ का भोजन कभी नहीं करना चाहिए.