नाक से नकसीर फूटना तथा खून गिरना-
अकसर गर्मियों में मस्तिष्क में
गर्मी पैदा होकर नाक से खून बहने लगता है। प्रायः नाक पर चोटा आदि लगकर या
मस्तिष्क में विकृति पैदा होकर जाड़े आदि ऋतुओं में भी किसी-किसी को नाक से खून
बहना चालू हो जाता है। अतः हम यहां नकसीर फूटने वाले रोग द्वारा नाक से खून गिरने
को रोकने का अनुभूत तथा सरल उपाय दर्शाते हैं। वैसे तो साधारण बोलचाल में इसको नाक
से नकसीर फूटना, खून गिरना तथा साधारण रोग ही समझा जाता है, परंतु दरअसल में यह
बहुत ही भंयकर रोग है। इसे वैद्यक में रक्तपित्त रोग कहते हैं। रक्तपित्त दो
प्रकार का होता है, अधोगत और ऊर्ध्वगत, जिसे गुदा तथा इन्द्री के द्वारा खून गिरता
है, उसे अधोगत रक्तपित्त कहते हैं और जिसके मुंह, नाक, कान तथा आंख आदि से खून बहे,
उसे ऊर्ध्वगत रक्तपित्त कहते हैं। गुदा, इन्द्री, योनि, मुंह, कान तथा आंख आदि से
खून बहने में कई कारणों की प्रधानता होती है और सबकी अलग-अलग ही दवाइयां भी। अतः
उनके लिए समय पर किसी चतुर वैद्य या डाक्टर की राय लेनी चाहिए। यहां हम सिर्फ नाक
से ही खून बहना, नकसीर फूटना रोकने के उपाय दर्शाते हैं।
·
भुनी हुई फिटकरी, आरणे छाणे (जंगली उपले) की भस्म और कागज की
भस्म। इनको सम भाग लें और महीन पीसकर नस्य दें तो बहता लहू रुके। नथनों में अनार
फूल व दूब का रस डालें।
· लाल फिटकरी का चूर्ण बनाएं, गर्म तवे पर डाल दें और ऊपर से
थोड़ी गधे की लीद का पानी डाल दें। जब पानी जलकर फिटकरी फूलकर भस्म तैयार हो जाए,
तब पीसकर सुंघाएं तो खून तुरंत ही बंद हो जाता है।
· केहर वा शमई (एक प्रकार का सुनहरी रंग का गोंद होता है जिसे
यदि दियासलाई से जलाया जाए तो दीपक की तरह ही जलता है। केहर वा शमई के नाम से
पंसारी तथा अत्तार के यहां मिलता है) को सूक्ष्म पीसकर शर्बत अंजबार अथवा शीतल जल
से 1 माशे की मात्रा दें। यदि 1 पुड़िया में खून गिरना बंद न हो तो, फिर 1 खुराक
दें, अवश्य ही नकसीर रुक जाएगी। फूली फिटकरी पानी में घोलकर भाप लें तो खून रुक
जाता है।
·
मुलतानी मिट्टी को जल में गूंधकर माथे और तालु पर लेप कर दें।
नकसीर रुक जाएगी।
· रोगी के सिर के केश उतरवा कर सिर पर कुछ देर तक शीतल धारा
डालें। यह रक्त रोकने में अक्सीर हैं। · ऊंट के बाल जलाकर भस्म बना लें और महीन पीसकर नस्य दें, नकसीर
रोकने में अक्सीर है।
· यदि गर्मी में लहू गिरता हो तो आम की गुठली का रस निकालकर
डालना चाहिए। कागज की राख सूंघना भी लाभप्रद है।
· सूखे आंवलों को घी में तलकर पीसकर मस्तक पर लेप करें। तलने के
बाद पानी डालकर पीसना चाहिए। पके गूलर में चने भरकर घी में तलें, तत्पश्चात उसमें
कालीमिर्च तथा इलायची के दानों का 4-4 रत्ती चूर्ण डालकर प्रातःकाल सेवन करें और
बैंगन रस को मुख पर लगाएं और सूंघे।
·
रोगी को सीधा सुलाकर दूब का रस और प्याज का रस मिलाकर उसके
दोनों नथुने रस से भर दें तो नकसीर का लहू तत्काल ही बंद हो जाएगा। यह कई बार का
परीक्षित योग है।
· चिकनी मिट्टी अथवा पीली मिट्टी के बड़े-बड़े ढेलों पर ठंडा
पानी डालकर सूंघने से अथवा मिट्टी का अत्तर सूंघने से सहज ही नाक के बहता लहू रुक
जाता है।
·
सेलखरी और सोना गेरू पीसकर 3-3 माशे, शीतल जल के साथ दिन में
3 बाद देने से नाक से रक्तस्त्राव होना बंद हो जाता है। यही रोग रक्त प्रदर में भी
अच्छा लाभ करता है।
·
काले गधे की लीद का रस 1-1 बूंद नाक में डाल दें। दिन में
केवल एक बार। पहले ही दिन लाभ होगा। दूसरे दिन फिर डाल दें। इसी में पूर्ण लाभ हो
जाएगा। इसमें थोड़ा कपूर भी मिला लें।
·
दूब का रस 10 बूंद, तिली का तेल 5 बूंद, फिटकरी 1 रत्ती
मिलाकर नस्य लें। दिन में 3-4 बार करने से दारुण नकसीर भी ठीक हो जाएगी।
लाल चंदन 3 तोला, चीनी दानेदार 3 तोला, घृत 3 तोला, शहद डेढ़ तोला। पहले लाल
चंदन को कूटकर महीन चूर्ण बना लें अथवा लाल चंदन का बुरादा लें, फिर उसमें चीनी
मिलाकर 6 पुड़िया बना लें। गर्म दूध में 1 पुड़िया घोलकर 6 माशा घृत और 3 माशा मधु
को मिलाकर शाम-सवेरे 1-1 पुड़िया तीन रोज तक पिला दें। इससे नकसीर का गिरना,
स्त्री का प्रदर रोग तथा खूनी बवासीर से खून का गिरना रुक जाता है। दवा कच्चे दूध के
साथ भी ली जा सकती है, गर्म दूध में पीएं तो खूब ठंडा करके पिएं।अधिक जानकारी के लिए यहीं क्लिक करें---
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