अंगूठा चूसना
(Thumb-Sucking)
हाथ या
पैरों के
अंगूठों (thumb of hands and feet) को
लगातार मुंह में रखकर चूसने की आदत, बच्चों
में अंगूठा चूसना रोग कहलाता है। कभी-कभी शिशु या बच्चा
अपनी
अंगुलियों को भी चूसता है।
Thumb sucking |
अंगूठा चूसने की आदत डेढ़ वर्ष से दो वर्ष की आयु में अधिकतम पाई जाती है। यह आदत
धीरे-धीरे, आयु बढऩे के साथ-साथ कम हो जाती है।
तीन वर्ष की आयु तक लगभग समाप्त हो जाती है। इस आयु के शिशु या बच्चों में अंगूठा चूसने के बाद
नींद आ जाती है।
अधिक उम्र
के शिशु या बच्चे में लगातार एवं आवश्यक रूप (compulsive) से अंगूठा चूसना उसकी असुरक्षा (unsecurity), अकेलापन (boredom), दासिता (dependence) को प्रदर्शित करता है।
- बच्चों को अधिक समय तक भूखा व अकेला रखना।
- मां शिशु या बच्चे के बीच भावनात्मक संबंधों का अभाव।
- प्रसव कालीन (during labour) शिशु की मस्तिष्कीय चोटें (trauma)।
- दांतों के निकलते समय (teething) मसूढ़ों (gums) में तीव्र सुरसुराहट (irritation)।
- प्राकृतिक रूप से बच्चे को भूख लगने पर वह अपने हाथ-पैरों को मुंह की ओर लाता है जो स्थाई हो जाती है।
- शीशी या बोतल आदि से दूध या पोषण (milk/nutrition) लेना या देना।
- अंगूठा चूसने का इतिहास शिशु या बच्चे के माता-पिता या अभिभावक से प्राप्त होता है।
- शिशु या बच्चा आपने सामने खेल रहा है या उपस्थित है तो अंगूठा चूसने की स्थिति में हो सकता है।
- अंगूठे या अंगुलियों पर घाव (soreness) या कैलस (callus) पाये जाते हैं।
- बच्चे का जबड़ा ठीक से बंद नहीं हो पाता है। ऊपर व नीचे के दांत आपस में नहीं मिल पाते (malocclusion)। यह स्थिति उन बच्चों में पायी जाती है, जिनमें अंगूठा चूसने की आदत 5 वर्ष का आयु के बाद भी बनी रहती है।
चिकित्सा-
Thumb sucking |
- शिशु या बच्चे को पूर्ण आहार दें।
- शिशु या बच्चे जिस अंगुली या अंगूठे को चूसे, उस पर कड़वे पदार्थ का लेप न करें या बलपूर्वक बार-बार उसके अंगूठे को मुंह से न निकालें। ऐसा करने से शिशु या बच्चे के मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
- सोते समय अंगूठा या अंगुली चूसने वाले शिशुओं या बच्चों को किसी उपचार की आवश्यकता नहीं है।
- अंगूठा चूसने की आदत अधिक होने पर जब बच्चा दिन में व रात में अंगूठा चूसता है, उसकी उम्र दो वर्ष से अधिक हो गयी हो, तब इसके कारणों को समझकर उपचार करना चाहिए।
- बच्चे को भावनात्मक सहारा (emotional assistsnce) दें, उसके कार्यों की सराहना करें, कभी बच्चे को अधिक न डाटें ताकि उसके मन में असुरक्षा का भाव पैदा न हों।
- बच्चे को कार्य में व्यस्त (indulge) रखें, जैसे- पैंसिल, रबड़, रंग, पेपर आदि देकर उनसे संरचनाएं, डिजायन आदि बनवाएं।
No comments:
Post a Comment